दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
अगर मोहब्बत से पेश आते तो न जाने क्या होता।
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,
बिछड़ के तुझसे हर रास्ता सुनसान रहता है,
तुमको याद रखने shayari in hindi में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ,
बिछड़ के मुझ से वो दो दिन उदास भी न रहे।
अब तक सबने बाज़ी हारी इस दिल को रिझाने में,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे?
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।