कुछ बात तो है इस दिल को बेकरार किया उसने। ~एकांत नेगी
हम उससे थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं,
जहाँ तक रास्माता मालूम था हमसफर चलते गए,
जो सूख जाये दरिया तो फिर प्यास भी न रहे,
अगर मोहब्बत से पेश आते तो न जाने क्या होता।
रास्तों की उलझन में था हमसफर भी छोड़ गए।
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं,
बिछड़ के तुझसे हर रास्ता सुनसान रहता है,
तुमको याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ,
बिछड़ के मुझ से वो दो दिन उदास भी न रहे।
कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्वाब आते हैं,
जर्रे-जर्रे में वो है shayari in hindi और कतरे-कतरे में तुम।
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।